दोस्तो केंद्र और राज्य सरकारों की तरफ से बड़ी बड़ी घोषणाएं होती रहती हैं। उन्हीं घोषणाओ में एक है। खेल मैदान यानी ग्रामीण स्तर पर स्टूडियम। यानी सम्पूर्ण तरह की सुविधाओं वाला खेल मैदान।
सरकार की तरफ से ब्लॉक स्तर हो या बड़ी छोटी सभी मुख्य स्कूलों में खेल मैदान का निर्माण किया जा रहा हैं।
सरकार खेल मैदानों के लिए राशि आवंटित कर रही है व कर दी हैं। खेल मैदान भी बने।
ग्रामीण स्तर पर खेल मैदानों को बनाने का कार्य पंचायत को दिया गया।
सरपंच ने पंचायत के माध्यम से खेल मैदान यानी स्टूडियम का निर्माण करवा दिया है। लेकिन क्या इन खेल मैदान की सुरक्षा और साफ सफाई व सुचारू तरीके से कोई देख रेख हो रही हैं।
इस विषय पर मैं आज जोधपुर जिले की बावड़ी तहसील के मुख्य सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल महोदयजी से मिला व खेल मैदान यानी स्टूडियम के निर्माण की सम्पूर्ण जानकारी चाही।
प्रिंसिपल व PT सर् व अन्य स्टाफ से मिला व पाया कि विद्यालय में खेल स्टूडियम का निर्माण व उसके रख रखाव के बारे में बताये।
साथ ही सम्पूर्ण चर्चा के बाद हमने जब स्टूडियम का दौरा किया तो पाया कि कैसे सरकारी फण्ड का गलत इस्तेमाल हुआ जोकि निर्माण के बाद कुछ त्रुटियों के बाद रखाव के अभाव में आज बड़े क्षेत्र और मुख्य स्थान जोकि बावड़ी के मध्य का है केवल खेल मैदान के नाम पर खिलवाड़ हैं।
कारण रख रखाव और निर्माण में कही कही त्रुटियां। अतः केवल इसको तो एक वाक्य में यही कह सकते है कि खोदा पहाड़ निकली चुहिया।
अर्थात जो सुना था कि बावड़ी में खेल स्टूडियम है तो बड़ी खुशी हुई लेकिन जब जगह पर जाकर देखा तो पाया कि केवल युवॉ के साथ खिलवाड़ हैं।
स्थानीय प्रशासन और जिला कलेक्टर महोदयजी से निवेदन है कि खेल स्टूडियम के निर्माण व रख रखाव की तरफ गौर फरमा कर युवाओ के खेल क्षेत्र के उज्ज्वल भविष्य की तरफ बढ़ाया जाये।
युवाओ के सपनो को पढ़ाई वे साथ साथ खेलो के माध्यम से भी आकार मिलता हैं।
अतः खेल स्टूडियम का निर्माण सभी आयामो को देखते हुए पूर्ण करके रख रखाव के लिए कर्मचारी व पेड़ पौधों के लिए सेवा देने वाले कर्मचारियों की व्यवस्था करे।