क्या फिर होगा किसान आंदोलन? खबर पढ़िये और समझिये राकेश टिकैत का इशारा।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने किसान आंदोलन को लेकर एक बड़ा इशारा किया है। राजस्थान जाने के दौरान किसान नेता ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों के साथ न्याय नहीं कर रही है।
रेवाड़ी, मोकाज़ी टीवी डिजिटल डेस्क :
Kisan Andolan Part 2: दिल्ली-यूपी के गाजीपुर बार्डर पर एक साल साल से अधिक समय तक आंदोलन करने वाले देश के जाने-माने किसान नेता राकेश टिकैत (Famous Kisan Leader) ने एक बार फिर हुंकार भरी है। हरियाणा के रेवाड़ी जिले में उन्होंने केंद्र सरकार को घेरा है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य समेत अन्य कई मांगों को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा के अहम नेताओं में शुमार राकेश टिकैत ने कहा है कि जल्द ही फिर से देशभर में आंदोलन होगा। यह बात उन्होंने रेवाड़ी के बावल कही, जब वह राजस्थान जा रहे थे।
राजस्थान जाते समय कुछ देर के लिए बावल रुके राकेश टिकैत ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य समेत कई मांगें हैं, जिन पर केंद्र सरकार ने चुप्पी साध ली है।
किसान नेता ने लगाया सरकारी एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप
पत्रकारों से बातचीत में किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि केंद्र सरकार लगातार सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। हालांकि, उन्होंने किसी प्रकरण का नाम तो नहीं लिया, लेकिन इसे सीबीआइ के छापों और प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई से भी जोड़कर देखा जा रहा है।
राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार को इशारों-इशारों में चेताया
फिर से किसान आंदोलन की कर रहे हैं तैयारी
राकेश टिकैत ने कहा कि देश भर में किसानों को फिर से एकजुट किया जा रहा है। राकेश टिकैत ने कहा कि किसान अब अपने अधिकारों के लिए बोलना सीख गया है। उन्होंने कहा कि देशभर के किसान अपनी मांगों को लेकर गंभीर हैं, इसलिए मांगें मनवाने के लिए किसान फिर से आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं।
किसानों का विरोध प्रदर्शन :
किसानों का विरोध प्रदर्शन दूसरी बार शुरू हो गया है। जिसमें 200 से ज्यादा किसान संगठन और हजारों किसान शामिल हैं. जो सरकार के सामने अपनी कुछ मांगें रखना चाहते हैं. दूर से देखा जाए तो इस बार का किसान आंदोलन भी पिछले आंदोलन जैसा ही है।
378 दिन चला था पहले हुआ किसान आंदोलन
दो साल पहले देश में जो किसान आंदोलन शुरू हुआ था वो 378 दिन तक चला था.
दो साल पहले दिल्ली के बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसानों का आंदोलन इतना मुखर था कि नरेंद्र मोदी सरकार को कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) क़ानून -2020, कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तुएं संशोधन अधिनियम 2020 को रद्द करना पड़ा था.