आज का विषय है “किसान और मौसम”. किसान जोकि धरती पुत्र यानी जो धरती का सीना चिर कर अनाज उगाता हैं।
किसान यानी एक ऐसा वर्ग जो संसार के लिए अनाज की पूर्ति करता हैं। समाज को सर्दी और गर्मी और ठंड में भीगे बदन और तकलीफों के बावजूद अपने पुश्तेनी कार्यो यानी खेती को जोतता हैं।
केंद्र और राज्यो की सरकारें किसान और मौसम के लिए क्या कर सकती है वो समय पर करना चाहिए।
मेरा सुझाव सरकार को।
किसानों को बिजली व कीटनाशक व खाद पूर्ण रूप से फ्री मिलना चाहिए। साथ ही किसान भत्ता जोकि लगभग ऐसा होना चाहिए जोकि मासिक रूप से किसान के परिवार के खर्चे के लिए पर्याप्त हो।
अन्नदाता ही जब कमजोर पड़ जायेगा तो कौन परोसेगा अनाज।
जय किसान जय अन्नदाता
किसान खेती करता है तो किसान का सबसे अहम दुश्मन है मौसम। अक्सर किसान जब फसल उगाता है तब भी सिर उठा कर आसमान को ताकता है और जब फसल पकने की कगार पर हो तब भी सिर उठा कर सोचता है कि हे आसमान में बैठी अदृश्य ताकत अनाज काटने और बोरो में डालने से पहले बे मौसम बरसात मत कर देना।
यदि बे मौसम बरसात हो गयी तो फसल खराब हो जाएगी। साहूकार और सरकार व अन्य तरीकों व जुगाड़ व पत्नी के गहने बेच कर इक्कठा क्या धन जो फसल बौने में लगाया उनको कैसे फिर से पटरी पर ला पायेगा।
किसान पूरे साल फसल को बच्चो की तरह पालता है निराई ,गुड़ाई,पिलाई,कीटनाशक व तरह तरह के संसाधनों से व्यवस्था करता है कि फसल खराब न हो।
वैसे तो संसार मे किसान अन्नदाता के नाम से जाना जाता है।
लेकिन वही अन्नदाता बे मौसम में फसल पर पूरा खर्चा करने के बाद जब फसल खराब हो जाती है तब समझो किसान की कमर टूट जाती हैं।
किसान की आंखों के आगे अंधेरा छा जाता हैं। किसान को मन मे भय हो जाता है कि कैसे बाजार का उधार चुका पाऊंगा। कैसे बच्चों की स्कूल की फीस कैसे भर पायेगा। बिना फ़ीस के बच्चो को स्कूल से निकाल दिया जायेगा।
किसान की अगली चिंता है किसे अन्य सभी खर्चो के लिए धन और व्यवहार बना पाऊंगा।
बिजली का बिल हो या बैंक का उधार या हो उधारी मांगने वालो की उगाही व अनन्त समस्याएं।
क्या इस किसान की कोई मदद कर सकता हैं।
क्या किसान अपने लिए इन मुहफैलाये खड़ी समस्याओं से उबर पायेगा।
क्या किसान का परिवार चिंता से निकल पायेगा।
क्या किसान के बच्चे पुश्तेनी खेती के लिए सोचेंगे।
क्या किसान अंदर से चिंता को निकाल पायेगा।
क्या किसान कभी अपने सपनो को खेती के द्वारा तय कर पायेगा।
ऐसे अनगिनत प्रश्नों को लेकर किसान हर साल नए सपने और नई हिम्मत के साथ आगे बढ़ता हैं। किसान का हौसला कितना बड़ा और विशेष है शायद हम सोच नही सकते।
देश की आजादी के समय एक नारा था।
जय जवान जय किसान।
आज 75 साल बाद यदि पीछे मुड़कर यदि देखा जाए तो शायद बहुत बड़ा अंतर है किसान और जवान के जीवन में।
क्या भारत का किसान वास्तव में कभी बे मौसम की बरसात और ओलो से व पाले से व कीटो व पतंगों व अवारा पशुओं से अपनी फसल को सुरक्षित रख पायेगा।