आसान और मुश्किल
आसान
आसान यानी सरल,साधारण और जो सभी के द्वारा किया जाने वाला कार्य या कर्म। आसान जिसमे कम मेहनत और तकलीफ में कोई भी कार्य हो जाये।
आसान यानी कोई कार्य पहले से हजारों सालों से किया जा रहा हैं। एक ऐसी सड़क जिसको बने हजारों साल हो गये। प्रतिदिन उस सड़क पर आना जाना कितना सरल होगा।
जिन रास्तो कार्यो और कर्मो को आप जानते हो। जिन कर्मो को आप जन्म से देख रहे हो। आप ही क्यो आपके पिताजी,पिताजी के पिताजी और उनके पिताजी।
यानी इसमें किसी ने क्या तीर मार लिए जो कार्य सदियों पहले से चला आ रहा है। जिसको सदियों से लोग कर रहे हैं। जिसको करने के लिए सभी पर्याप्त जानकारियां हर किसी के पास हैं। जिसको करने की तरकीब और वैचारिक समझ सबके पास हैं यहाँ तक कि छोटे बच्चे के पास भी हैं।
तो फिर यह तो आसान कार्य हो गया। जोकि सरलता और साधारण की परिभाषा में आता है।
जब कोई कार्य और कर्म व विचार और संगत सदियों से चली आ रही होती है तो उसको करने में कोई विशेषता नही।
न ही उसके लिए ज्यादा इतराना चाहिए। न ही अपने आप पर ज्यादा घमंड ही होना चाहिए। क्योंकि जो कार्य व योजनाएं व कर्म सदियों से हमारे जन्म से पहले से चले आ रहे हैं। जिनको बने और किये व उपजे सादिया बीत गयी।
तो फिर आसान से भी हटकर कुछ होता है क्या,क्या आसान से भी अलग कुछ किया जा सकता हैं या किया गया हैं क्या। क्या ऐसा भी होता हैं क्या की जो चला आ रहा है से भी अलग और नया कुछ किया जा सकता हैं जिसे विशेष और महान कार्य या खोज या अलग से किया गया कर्म कहा जाये।
क्या इस प्रकार की भी कोई योजना धरती पर है। क्या दुनिया मे चली आ रही रीतियों और कर्मो व नियमो से भी अलग हटकर कुछ किया जा सकता हैं। कैसे।
अब आये आप सही शब्द पर कैसे। आसान से विशेष और असाधारण व मुख्य बनने की यात्रा जिसको कहते है नया या खोज।
एक प्रश्न अपने मन में स्वयं से करो कि क्या सदियों पहले घर थे क्या,क्या सदियों पहले आग जिस व्यवस्था से आज गैस पर आप जलाते हैं वैसे थी क्या, क्या सदियों पहले तेज दौड़ने वाली गाड़िया थी क्या।
क्या हवा में उड़ने वाले वाहन थे क्या, क्या कपड़े और पक्के घर थे क्या,क्या आज जो चारो तरफ दैनिक इस्तेमाल से लेकर प्रत्येक क्षण इस्तेमाल होने वाली वस्तुएं सदियों पहले थी क्या, क्या सदियों पहले मोबाइल,टीवी फ्रीज,कार से लेकर हर वस्तु थी क्या तो इसका एक ही जवाब होगा कि नही।
मतलब एक ही है सीधा है कि तो फिर इसको कैसे किया गया किसने किया,क्यो किया। तो उसका जवाब हैं कि इस इस दुनिया मे कुछ लोग ऐसे बिरले पैदा होते हैं जिनका जन्म ही ऐसे कार्यो को करने व नये लक्ष्य तय करके कुछ ऐसा करने का सोचते है जो मानवकल्याण व संसार के लिए कुछ उत्तम व अलग हो। जिसके लिए भले सम्पूर्ण जीवन लग जाये। जिसके लिए किसी भी मुश्किल स्तिथि से भिड़ने की हिम्मत हो।
जब सदियों से चले आ रहे रास्ते से कुछ अलग व बेहतर व नयापन के साथ कुछ समय के साथ आगे बढ़ने व कुछ विशेष करने का लक्ष्य जब कोई तय करता है तो हम सभी कहते है कि बहुत मुश्किल हैं आज तक किसी ने नही किया। आजतक से याद आया कि सदियों पहले क्या कोई आजतक नाम से न्यूज़ चैनल था क्या, क्या ज़माटो था क्या क्या रंजरोवर थी क्या,
क्या व्हाट्सएप्प और फेसबुक या यूट्यूब थे क्या। तो इसका जवाब होगा नही। यानी ऐसे नये रास्तो और विचारो पर चलकर कुछ नया और अनोखा करने के लक्ष्य पर लोगो ने तकलीफों और मुश्किलों से लड़ गये और इतिहास बना दिया।
आज जिन्होंने इस दुनिया मे कुछ अलग और विशेष कर दिया जिसका लक्ष्य ही दुनिया के लिए कुछ अलग करने का हो तो इनाम व पुरुस्कार भी ऐसे बिरले लोगो को ही मिलेगा। जिनका पूरी दुनिया मे 5% प्रतिशत ही होगा। इसलिए ऐसे लोगो का सन्मान और इज्जत दुनिया के साधारण और आसान कार्य करने वालो से अलग होगा।
अब यह हमारे हाथ मे है कि हम कैसे जीवन चाहते है। हम साधरण पहले से चली आ रही पटरी पर अपना जीवन बिता दे, गरीब के घर पैदा हुए तो गरीब ही मर जाये। कही कोई व्यवस्था की कमी है तो उसको बेहतर करने के लिए प्रयास न किया जाए।
यदि हम दुनिया के लिए अलग और विशेष व पहले से चली आ रही परंपराएं और व्यवस्थाओं से अलग कुछ कर सकते तो लोग हमे आम लोगो से अलग इज्जत देंगे। इज्जत नही देंगे तो भी चलेगा। लेकिन शायद हमारे प्रयास से कुछ अलग हो गया तो इस संसार मे बहुत कुछ बदल जायेगा।
अब कुछ अलग और नया और विशेष करना है तो उसके लिये लक्ष्य तो तय होना ही चाहिए। यानी सोच समझ कर लक्ष्य तय करके उस पर चलना। और बिना थके और इज्जत और आराम की कामना किये चलते जाना।
यानी ऐसा व्यक्ति जो न है और जो करेगा बनायेगा और जो आयेगा के सूत्र को जिंदा करेगा। वही सिकंदर कहलायेगा।
सिकंदर ऐसे ही सीधा व सरल जीवन जी कर नही बनते। सिकंदर बनने के लिए लाखों बार बिना थके और हट्टे लक्ष्य की तरफ बढ़ते कदमो से गिर कर उठना पड़ता है।
इसमें भी शायद उस कर्म और अविष्कार व फल का भोग शायद वो इस्तेमाल वो कर पायेगा या नही।
जिसका सीधा उद्धरण हैं कि क्या बल्ब की रोशनी का फायदा एडिसन को मिला क्या क्या हवाई जहाज का फायदा राइट ब्रोडर्स को मिला क्या।
यानी असाधरण और विशेष व्यक्ति स्वयं के लिए नही जीते। औरों के लिए कुछ कर जाए यही सोच सदा मन मे रहती हैं। क्योंकि इसलिए तो लोग महान कहते है। जो आसान से हटकर हैं।